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एक पिता बेटी की कहानी जो दिल को छु लेगी।






नोट: लेख लम्बे होने का खेद है किन्तु इससे छोटा करने की गुंजाईश नहीं थी।निवेदन है जरुर पढें...अगर अच्छा लगे तो शेयर करें.. }

 बेहद उत्साह में किरीट भाई घर पर आये। आवाज सुन पत्नी जी पानी का ग्लास हाथ में लिए आईं। किरीट भाई ने कहा अपनी लक्ष्मी की शादी की बात आई हे ,अच्छे घर का हैं लड़के का नाम बसंत हे और बैंक में मैनेजर हे लक्ष्मी हा कहे तो सगाई कर देते हे।
लक्ष्मी उनकी एक ही बेटी थी। घर में कायम आनंद का वातावरण रहता ,हां कभी किरीट भाई को सिगरेट और पान मसाले का व्यसन देख उनकी पत्नी और लक्ष्मी बोलती पर किरीट भाई कभी गुस्से में तो कभी मजाक में बात को अनसुना कर देते। पर लक्ष्मी बहुत समझदार और संस्कारी थी।
१० वी पास कर ट्यूशनभरतकाम कर अपने पप्पा को मदद करने की कोशिश करतीअब लक्ष्मी ग्रेजुएट हो गई थी और नोकरी भी करती थी पर किरीट भाई उसके कमाई से एक पैसा भी नहीं लेते और हमेशा कहते बेटा ये तेरे पास ही रख तेरे भविष्य में काम आएंगे। दोनों घर की सहमति से लक्ष्मी और बसंत की सगाई हो गई थी और लग्न का मुहर्त भी देख लिया। लग्न के सिर्फ १५ दिन बाकी थे। किरीट भाई ने लक्ष्मी को पास बिठाया और कहा बेटा तेरे ससुर जी से बात हो गई हे उन्हें दहेज़ में कुछ नहीं चाहिए। न पैसा ,जवेरात या कार।
तो तेरे लग्न के लिए थोड़ी बचत मेने कर रखी हे ये दो लाख का चेक तुजे देता हु। तेरे भविष्य में काम आएंगे। तू तेरे बैंक के अकाउंट में जमा करा देना। ठीक हे पिताजी कह कर वो अपने कमरे में चली गई। समय जाते देर नहीं लगाती। शुभ दिन को वरराजा की बारात आगई। सभी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। पंडित जी ने लग्न विधि शरू की फेरे की घडी आई।
 (दिल को छू लेने वाली बात अब शुरू होती हे।)
 कोयल के जैसे मीठे बोल लक्ष्मी के मुख से निकले रुकिये पंडित जीआप सब की उपस्थिति में मुझे पिताजी से कुछ बात करनी हे। पिताजी आपने मुझे बड़े प्यार दुलार से बड़ी कीपढाया लिखाया बहुत प्रेम दिया जिसका ऋण में कभी नहीं चूका सकती। पर बसंत जी और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने दिए दो लाख का चेक वापस कर रही हु उससे आप शादी में किये खर्च को चूका देना और ये तीन लाख का दूसरा चेक जो मेने बचत की थी उसके। जो आप रिटायर होंगे तब काम आएंगे। में नहीं चाहती की आप को बुठापे में किसीके सामने हाथ फैलाने पड़े। अगर में आपका लड़का होती तो इतना तो करती ही न ! बारात में हाजिर सभी की नजर दोनों बाप बेटी पर थी और सभी इस भावुक क्षण को देख रहे थे। लक्ष्मी ने कहा पिताजी अब में आप से एक चीज मांगती हु आप देगे?
किरीट भाई के आँखों में आसू थे और मुँह से सिर्फ इतने ही शब्द मुश्किल से निकले " हां बेटा मांग "। तो पिताजी मुझे वचन दीजिये की आज से सिगरेट और पान मसाले को हाथ नहीं लगायेगे और आज से व्यसन छोड़ देगे। सब की उपस्थिति में सिर्फ इतना ही मांगती हु। बेटी का पिता भला कैसे ना कह सकते थे। लग्न में बेटी की विदाई के वक्त कन्या पक्ष के संबंधी को रोते देखा हे पर आज बारातियो की आंखे भी भीनी थी। दूर से लक्ष्मी का ये स्वरुप सब देखते ही रह गये। सोच रहे थे 201 रूपये का कवर जेब से कैसे निकाले, क्योकि जो साक्षात् लक्ष्मी हे उसे क्या कागज की लक्ष्मी दे!
पर एक सवाल मन में जरूर होता हेभ्रूण हत्या और दहेज़ के लालची समाज को लक्ष्मी की जैसी साक्षात् लक्ष्मी की जरूर हे?  क्यों सही कहा न ?

आज के ज़माने में बेटा बेटी एक समान हे इस लिए उनमे भेदभाव मत कीजिये और बेटी को भी समान अवसर दीजिये।

 लक्ष्मी का अर्थ सिर्फ पैसे नहीं बल्कि लक्ष्मी के आठ विशेष रूप हें।

१ आदिलक्ष्मी :- यह माँ लक्ष्मी का सबसे पहला अवतार है, इन्हे भृगुसुता या भृगु ऋषि की पुत्री के रूप में जाना जाता है।
२ धनलक्ष्मी :- एक बार भगवन विष्णु कुबेर से लिए हुए कर्ज को समय पर नहीं चूका पाए तो, धन लक्ष्मी ने ही कृपा कर विष्णु जी को कुबेर से कर्ज मुक्त करवाया था।
३ धान्यलक्ष्मी :- जिस व्यक्ति पर धान्य लक्ष्मी के कृपा होती है, वह व्यक्ति कभी क्षुधा तृष्णा से व्यथित नहीं होता।
४ गजलक्ष्मी :- गज लक्ष्मी ने इंद्र को सागर में डूबे हुए उनके धन को फिर से प्राप्त करने में सहायता की थी। वह राजसी की शक्ति देती है और धन - समृद्धि की रक्षा करती है।
५ सन्तानलक्ष्मी :- यह रूप बच्चो और अपने भक्तो को लम्बी उम्र देने के लिए है।
६ वीरलक्ष्मी :- जीवन में कठिनाइयों पर काबू पाने के लिएलड़ाई में वीरता पाने ले लिए शक्ति प्रदान करती है।
७ विजयलक्ष्मी :- विजया का मतलब है जीत। विजय लक्ष्मी जीत का प्रतीक है और उन्हें जाया लक्ष्मी भी कहा जाता है।
८ विद्यालक्ष्मी :- विद्या का मतलब शिक्षा के साथ साथ ज्ञान भी हैमाँ यह रूप हमें ज्ञानकला और विज्ञानं की शिक्षा प्रदान करती है जैंसा माँ सरस्वती देती है।



ये जानकारी पसंद आई हो तो दुसरो को भी सेर करे और ज्ञान को आगे बढ़ाये .

धन्यवाद . प्रणाम जी . जय हिन्द। 

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