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"पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा - एक महान क्रान्तिकारी की अस्थिया सालो तक विदेश में पड़ी रही ,आजाद होते ही देश उनके योगदान को भूल गया ,जो स्वीकार नहीं किया जा सकता ।

एक महान क्रान्तिकारी की अस्थिया सालो तक विदेश में पड़ी रही |
"पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा "-एक एसा क्रान्तिकारी जिसने कई क्रांतिकारो की मदद की जिसमे महात्मा गाँधीजी,वीर सावरकर,मदनलाल धिगरा,खुदी राम बोस,भाई परमानद,लाला हरदयाल,बिपिन चन्द्र पाल,आसिफ अली,सिकंदर हयात खान.जिसकी वजह से क्रांतिकारियों ने अंग्रजो के घर में घुस कर चुनोती दी|लन्दन में उन्होंने एक घर ख़रीदा जहा भारत के क्रान्तिकारी आके रह सके और स्वतंत्र की लड़ाई जारी रख सके उस घर का नाम" इंडिया हाउस" हे|एड्रेस(India House was a large Victorian mansion located at 65, Cromwell Avenue, Highgate, North London).उनकी अस्थिय सालो तक विदेश में पड़ी रही लकिन वहा के देश ने उस अस्थियो को  संभाला ,मान पूर्वक रखा ।लकिन हमने उसका अपमान किया ,आजाद होते ही देश उनके योगदान को भूल गया  ,जो स्वीकार नहीं किया जा सकता । ये "इंडिया हाउस" क्रान्तिकारी ओ का गढ़ था|गाँधीजी भी वहा रहे जहा सावरकर से पहलीबार टक्कर हुई |उस महान क्रान्तिकारी गुजराती की अस्थिया यहाँ लाके सन्मान नरेन्द्र मोदी जी ने ही दिलाया था ,कई लोगो को तो आज तक उनका नाम तक पता नहीं होगा |वास्तव में भारत के उत्कृष्ट शोध-संस्थानों और विश्व विद्यालयों को श्यामजी के योग दान पर विधिवत पी एच डी के अनुसंधान करवाने चाहिए|
दिल्ही विश्वविध्यालय का नाम "श्यामजी कृष्ण वर्मा" रखा जाना चाहिए|पंडित श्यामा जी की स्मृति में भव्य राष्ट्रीय स्मारक सारे देश में खड़े किए जाने चाहिए|उनका योगदान इतना हे की हम उसको चूका नहीं सकते |लकिन हमने क्या दिया उसकी अस्थियो को सालो तक विदेशो में पड़ी रही|

श्यामजी कृष्ण वर्मा : भगत सिंह ने रखी थी शोक सभा .

तारीख थी 30 मार्च 1930 और वक्त था रात के 11.30 बजे। जेनेवा के एक हॉस्पिटल में भारत मां के एक सच्चे सपूत ने आखिरी सांस ली और उसकी मौत पर लाहौर की जेल में भगत सिंह और उसके साथियों ने शोक सभा रखी, जबकि वो खुद भी कुछ ही दिनों के मेहमान थे। उनकी अस्थियां जेनेवा की सेण्ट जॉर्जसीमेट्री में सुरक्षित रख दी गईं। बाद में उनकी पत्नी का जब निधन हो गया तो उनकी अस्थियाँ भी उसी सीमेट्री में रख दी गयीं। इस घटना को 17 साल गुजर गए, देश आजाद हो गया, किसी को याद नहीं था कि उनकी अस्थियों को भारत वापस लाना है। एक एक करके पचपन साल और गुजर गए, पीढियां बदल गईं। तब इस गुजराती क्रांतिकारी की अस्थियों की सुध ली एक दूसरे गुजराती ने, गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी ने और इस क्रांतिकारी का नाम था श्याम जी कृष्ण वर्मा।
22 अगस्त 2003 को गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी ने ये एक बड़ा काम किया, जेनेवा की धरती से श्यामजी और उनकी पत्नी भानुमति की अस्थियां लेकर भारत आए। मुंबई से श्यामजी कृष्ण वर्मा के जन्मस्थान मांडवी तक भव्य जुलूस के साथ उनका अस्थि कलश राजकीय सम्मान के साथ लेकर आए मोदी। इतना ही नहीं वर्मा के जन्म स्थान पर भव्य स्मारक क्रांति-तीर्थ  बनाया और उसके परिसर के श्यामजी कृष्ण वर्मा कक्ष में उनकी अस्थियों को सुरक्षित रखा गया। मोदी ने क्रांति तीर्थ को भी बिलकुल वैसा ही बनाने की कोशिश की जैसा कि श्याम जी कृष्ण वर्मा का लंदन में इंडिया हाउस होता था। 


YOUTUBE NARENDRA MODI - http://youtu.be/NLw_2cNVRuQ
Google pe search kare narendra modi shyamji krishna varma
lets e-shradhanjali them n say sorry to Forget - http://www.krantiteerth.org/shradhanjali/e-shradhanjali.aspx


ये जानकारी पसंद आई हो तो दुसरो को भी सेर करे और ज्ञान को आगे बढ़ाये .

धन्यवाद . प्रणाम जी .

Also See on My Site : - https://idarshan.in/shyamji-krishna-varma/


जय हिन्द ....


2016-12-15_23-46-47

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