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New York City Landmark ब्रुकलिन ब्रिज की प्रेरणा दायक कहानी.



New York City Landmark ब्रुकलिन ब्रिज की प्रेरणा दायक कहानी.

अगर सर पर जनून सवार हो और सकारात्मक सोच हो तो इन्शान कुछ भी कर सकता हे , New York City Landmark ब्रुकलिन ब्रिज की प्रेरणा दायक कहानी .अमेरिका के मशहूर शहर  New York  का ब्रुकलिन ब्रिज की कहानी जो काफी प्रेरणा दायक हे .ये घटना साल १८७० की हे जब एक अमरीकी इंजीनियर जॉन रेब्लिंग ने एक सपना देखा .जॉन रेब्लिंग का सपना था की एक एसा पुल बने जिससे दो द्वीपों को जोड़ा जा सके .उस समय कोई सोच भी नहीं सकता की एसी कोई चीज बन भी सकती हे क्योकि उस समय विश्व में ऐसा कोई पुल था ही नहीं !
इसलिए दुनिया भर के इंजिनियर इसे पागलपन करार देते हे और मना कर देते थे !जॉन को समज नहीं आ रहा था वो क्या करे .एक दिन उसने अपने बेटे वोशिंगटन से बात की .फिर दोनों ने विचार विमर्श किया और इस नतीजे पर पहुचे के चाहे कुछ भी हो वो इस सपने को पूरा कर के रहेगे . फिर उन्होंने कुछ इंजीनियर को बुलाया और इस काम के लिए राजी किया और कहा अगर कोई भी नुकशान होगा तो उसकी भरपाई वे पिता पुत्र करेगे .
अंत में ३ जनवरी १८७० में काम शुरू हुआ .कुछ ही दिन हुए थे  काम शुरू किये की एक गंभीर दुर्धटना हुई जिसने सबके विश्वास को तोड़ कर रख दिया .जॉन रेब्लिंग की अचानक मृत्यु हो गई .सब लोग अब कहने लगे थे ये काम अब कभी पूरा नहीं होगा .ऐसे में जॉन के बेटे वोशिंगटन ने हिम्मत नहीं हारी और काम रुकने नहीं दिया .
पर कहते हे न अच्छे काम रुकवाते आती ही रहती हे जॉन की मृत्यु के दो साल बाद बेटे वोशिंगटन को एक बीमारी ने गिरफ्त में ले लिया .वोशिंगटन की एसी हालत हो गई की शरीर के सभी अंगो ने काम करना बंद कर दिया .उनकी हालत इतनी ख़राब हो गई की बोल भी ही सकते थे .इसके बाद काम लगभग बंद हो गया ,वोशिंगटन खुद को बहुत लाचार पा रहे थे .जिन्दगी को जेसे तेसे गुजार रहे थे .

पर किस्मत बदलते देर नहीं लगती.

एक दिन एसा चमत्कार हुआ की पूरी बाजी पलट गई उम्मीद की किरन दिखने लगी .उनको महसूस हो रहा था की उनका पूरा शरीर तो काम नहीं कर रह पर उनकी ऊँगली अब भी काम कर रही हे .
उन्होंने किसी तरह अपनी पत्नी एमिली को ये बात बताई .उन्होंने आपस में संपर्क साधने के लिए कोड बनाये . कहते हे न हर कामयाब इन्शान के पीछे एक ओरत का हाथ होता हे और हमारे यहाँ तो नारी को शक्ति का रूप कहा गया हे यहाँ भी कुछ यही हुआ .वोशिंगटन के कहने पर उनकी पत्नी ने सभी इंजिनियर को बुलाया और काम दुबारा शुरू करने को कहा .एमिली ने अगले ११ साल तक अपने पति के निर्देशों का पालन किया और ब्रुकलिन ब्रिज का काम जारी रखा .
२४ मई १८८३ को उन्होंने इतिहास रच दिया ,जिस सोच और काम को लोग पागलपन करार दे रहे थे जो ब्रिज दुनिया में पहले कही नही था अब बनके सामने गर्व के साथ शान से खड़ा था .सिर्फ वोशिंगटन  की एक ऊँगली और अपनी पत्नी के सहयोग के दम पर उन्हों ने वो कर दिखाया जिसे लोग नामुमकिन कह रहे थे .
दुनिया में जब कोई काम के साथ जनून मिल जाता हे तो ब्रुकलिन ब्रिज जेसे नायब और असम्भव चीजे भी बनकर खड़ी हो जाती हे ऐसे लोग सच में महान होते हे इन लोगो के शब्दकोश में नामुमकिन नाम का शब्द होता ही नहीं .
इन्शान चाहे तो असमान का सीना चिर के रास्ता बना सकता हे ,दुनिया में कई काम जनून और सकारात्मक सोच के साथ किये और कामयाब हुए हे.
अगर आप Newyork जाये तो ब्रुकलिन ब्रिज जरुर जाये और इस भव्य ब्रिज को देख जरुर गर्व महसूस करे .

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ये जानकारी पसंद आई हो तो दुसरो को भी सेर करे और ज्ञान को आगे बढ़ाये।

धन्यवाद . प्रणाम जी . जय हिन्द।
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